सच न बोलना(कवी नागार्जुन /कविता संग्रह) मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को, डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को! जंगल में जाकर देखा, नहीं एक भी बांस दिखा! सभी कट गए सुना, देश को पुलिस रही...
Hindi Poems
आए दिन बहार के (कवि नागार्जुन/कविता संग्रह) ‘स्वेत-स्याम-रतनार’ अँखिया निहार के सिण्डकेटी प्रभुओं की पग-धूर झार के लौटे हैं दिल्ली से कल टिकट मार...
प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ (गुलाबी चूड़ियाँ/नागार्जुन कविता संग्रह) प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ, सात साल की बच्ची का पिता तो है! सामने गियर...
सत्य को लकवा मार गया है(सत्य/नागार्जुन कविता संग्रह) सत्य को लकवा मार गया है वह लंबे काठ की तरह पड़ा रहता है सारा दिन, सारी रात वह फटी–फटी आँखों से टुकुर–टुकुर...
सृष्टि(Srishti) – Sumitranandan Pant (सुमित्रानंदन पंत) [ads1] [ads2] मिट्टी का गहरा अंधकार, डूबा है उस में एक बीज वह खो न गया, मिट्टी न बना कोदों, सरसों से...
मैं सबसे छोटी होऊँ तेरी गोदी में सोऊँ तेरा आँचल पकड़-पकड़कर फिरू सदा माँ तेरे साथ कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ बड़ा बनाकर पहले हमको तू पीछे छलती है माँ हाथ पकड़ फिर...
15 August 1947 By Sumitranandan Pant 15 अगस्त 1947 – Sumitranandan Pant (सुमित्रानंदन पंत) चिर प्रणम्य यह पुष्य अहन, जय गाओ सुरगण, आज अवतरित हुई चेतना भू पर...
ये सुन्दर कविता.. हर रिश्ते के लिए मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन! आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन! मैं चुप, तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडे़गा...
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